सम्यक समझ से समय का सदुपयोग करों - मुक्तिप्रभाजी
जिन शासन की प्रवचन प्रभाविका मुक्तिप्रभाजी आदि ठाणा - 5 का मंगल पदार्पण - बहने लगी धर्म की गंगा
थांदला। जिन शासन की प्रभावना करते हुए पूज्य श्री जिनेन्द्रमुनिजी म.सा. की आज्ञानुवर्ती प्रवचन प्रभाविका परम विदुषी स्थविरा महासती पूज्या श्री मुक्तिप्रभाजी म.सा., मधुर व्यख्यानी पूज्या श्री प्रशमप्रभाजी म.सा., थांदला गौरव पूज्या श्री नित्यप्रभाजी म.सा. आदि ठाणा 5 का मंगल पदार्पण अगराल (मेघनगर) कि ओर से धर्म धरा थांदला पर हुआ। बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाएं आपकी भव्य अगवानी के लिए दक्षिण द्वार पर पहुँचे व गुरु भगवन्तों की जयकारों के साथ स्थानीय महिला स्थानक पर आपका मंगल प्रवेश करवाया। आपके थांदला पधारने से व थांदला नगर में पूर्व विराजित महासतिया पूज्या श्री निखिलशीलाजी म.सा. आदि ठाणा - 4 के सह सानिध्य कुल ठाणा - 9 से जैन धर्मानुयायियों में धर्म का ठाठ लगा। पूज्याश्री के सानिध्य में आयोजित धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए पूज्या श्री मुक्तिप्रभाजी म.सा. ने कहा कि समय का चक्र तेजी से घूम रहा है यह झूलें कि तरह कभी हमें ऊपर ले जाता है तो कभी जमीन पर ले आता है। समय के चक्र से स्वयं परमात्मा भी नही बच पाये। तीन खण्ड के अधिपति श्रीकृष्ण वासुदेव का जन्म जेल में हुआ तो वे अपने प्रबल पुरूषार्थ से तीन खण्ड के अधिपति अपने समय में सबको दूध पिलाने वालें बने लेकिन समय का चक्र देखों कि अंत समय में उन्हें जंगल में जाना पड़ा जहाँ अपने ही भाई के तीर से मारे गए अंत समय में तो वे पानी तक के लिए भी तरस गए। यह समय का चक्र ही है जो निराधार को कर्णधार बना देता है तो कर्णधार को निराधार कर देता है। समय या समझ दोनों में क्या खराब यह चिंतन का विषय है क्योंकि समय तो राम - रावण, गाँधी - गौड़से, गौतम व गोशालक दोनों का एक ही है पर इनकी समझ में अंतर आने से ही एक महात्मा बने तो एक ने अपने भव बढ़ा लिये। पूज्याश्री ने कहा समय का महत्व पहचानों मिला अवसर मत खोओ व इसे सम्यक समझ में अर्थात धर्म आराधना में लगा कर सार्थक करों। पूज्या श्री प्रशमप्रभाजी म. सा. ने कहा कि हमें जीवन व्यवहार में बिना बुलाये मेहमान पसंद नही परन्तु यदि वे आ जाते है तो हम उनका स्वागत करते है ऐसे ही हमारें जीवन में मृत्यु बुढ़ापा व अनेक व्याधियों को लेकर आ गया है इसका स्वागत कैसे करना यह कला ही हमें धर्म बताता है। पूज्याश्री ने आगम का आलम्बन लेकर कहा कि हमें जब तक बुढ़ापा न आये, व्याधियों से हम ग्रसित न हो जाये व जब तक हमारी इंद्रियां शिथिल नही बन जाये इससे पहले हमें धर्म का आचरण कर लेना चाहिए। इस अवसर पर थांदला गौरव पूज्या श्री नित्यप्रभाजी म.सा. ने भी धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि धर्म टिकाने के लिए अनुकम्पा भाव वाला हृदय चाहिए। आपश्री ने हृदय को परिभाषित करते हुए कहा कि कृपण, अनउदार, उदार व विशाल रूपी हृदय के चार प्रकार है जिसमें से प्रथम दो पर विस्तृत विवेचन फरमाते हुए आपश्री कहा कि कृपण हृदय वाला व्यक्ति साधन होते हुए उसे अपने लिए भी उपयोग नही कर सकता। इसके 4 उदाहरण प्रस्तुत करते हुए आपने कहा कि धन, पदार्थ, मन व वचन व्यवहार रुपी कृपणता क्रमशः धन व पदार्थ का तो उपयोग नही करने देती लेकिन मन की कृपणता से जीव वचन व व्यवहार में भी कृपण बन जाता है व अपना इह व पर दोनों ही भब बिगाड़ लेता है। इससे परे अन उदार वाला व्यक्ति अपने लिए तो सोचता है परंतु उसके मन में दयाभाव का आभाव होता है जो अन्य पर उपकार करने में बाधक बन जाता है। पूज्या श्री मुक्तिप्रभाजी रावटी वर्षावास कर निरतंर विहार करते हुए लंबे अंतराल के बाद थांदला पधारें है आपके सानिध्य में संघ में अनेक धर्म आराधना हो रही है।संयम एवं तप अनुमोदनार्थ चौवीसी व पारणा आयोजन जिन शासन को समर्पित होने जा रहे खाचरौद निवासी मुमुक्षु आदिश कुमार संजय सुराणा व ममता सुधीर सुराणा के वर्षीतप की तपस्या अनुमोदनार्थ मनीषकुमार मनोजकुमार जैन परिवार कि ओर से
चौवीसी का आयोजन किया गया। जानकारी देते हुए संघ प्रवक्ता पवन नाहर ने बताया कि मुमुक्षु आदिश भाई आगामी 6 मार्च 2025 को राजनगर अहमदाबाद में श्रीमदविजय श्रीजयंतसेन सूरीश्वरजी म. सा. के अंतेवासी शिष्य श्री जिनागमविजयजी की पावन नैश्राय में प्रवज्या अंगीकार करेंगें। थांदला में चल रहे 72 वर्षीतप आराधकों के सामुहिक पारणें का लाभ बसंत मसाला उद्योग संजेली परिवार ने लिया वही समस्त एकासन बियासना वर्षीतप आराधकों के शाम को बियासने व भोजन का लाभ प्रकाशचंद्र मेघसिंग रुनवाल परिवार ने लिया है। सभी तप आराधकों की सुंदर व्यवस्था स्थानीय महावीर भवन पर की गई है, जहाँ श्रीसंघ अध्यक्ष भरत भंसाली, सचिव प्रदीप गादिया, कोषाध्यक्ष संतोष चपलोद, महिला मंडल अध्यक्ष पुष्पा घोड़ावत, सचिव किरण श्रीश्रीमाल, कोषाध्यक्ष सुनीता पीचा, ललित जैन नवयुवक मंडल अध्यक्ष रवि लोढ़ा, सचिव संदीप शाहजी, कोषाध्यक्ष चर्चिल गंग, वर्षीतप आराधना समिति संचालक मंगलेश श्रीश्रीमाल, प्रवीण मेहता, मुकेश चौधरी, संजय व्होरा, राकेश श्रीमाल, कमलेश कुवाड़, हितेश शाहजी, राजेश सेठिया, पवन नाहर, हेमंत श्रीश्रीमाल आदि प्रमुख भूमिका निभाते हुए वर्षीतप आराधकों की तपस्या में सहयोग कर रहे है।
